Tuesday, April 20, 2010


















की भारत का पंचायत राज याने के भ्रष्टाचार की गंगोत्री बन गया है .भारत मे सबसे ज्यादा भ्रष्ट डिपार्टमेंट मे पंचायत,पुलिस,रेवन्यू,है.इन सभी डिपार्टमेंट भ्रष्टाचार सबसे ज्यादा इस में आज भारत की ६५ % आबादी गाव में रहने वाली है और सरकार भी गाव के विकास के लिए तत्पर है इस लिए सुरक्षा के बाद सबसे ज्यादा पैसा गावो के विकास में लगाती है भारतीय अर्थतंत्र कृशिमुलक है.और भारत मे खेती और खेती आधारित उद्योग का विकास हूवा है.वर्तमान भारत के छोटे छोटे जिस की आबादी २०००० के आसपास है वहा ये उद्योग का विकास हूवा है.मगर इन गावो कमनसीबी ये है के यहाँ आज कही सालो से कोई बड़े कुटुंब या कबीलों के हाथ मे पूरा गाव का पंचायत राज है.और ऊपर से भारत के सरकारी नोकरो का साथ मिल रहा है.और स्थानिक नेता का भी साथ मिल रह है.और विधानसभा और लोकसभा के चुनावो मे ये पंचायत के बड़े काबिले और बड़े ताकतवर कुटुंब का छुट से उपयोग किया जा रहा है.चुनावो में आम और गरीब लोगो को डरना धमकाना यहाँ तक के जरुरत पड़े तो खूनखराबा करना इन का कम रहता है .बाद मे ये लोग ग्रामपंचायत मे जो भी कुछ भ्रष्टाचार करे उनके सामने आंखमिचोली करना विधानसभ्य और सांसदों का काम है.यहाँ के पुलिस और वहिवटी तंत्र अधिकारी और नेता के जरिये चुप कर दिया जाता है.या फिर अधिकारी को रिश्वत देकर साथ मे ले लेते है. और गाव और पंचायत के विकास के लिए जो भी पैसे सरकार से आते है वो चाव हो जाता है. और गाव का विकास वही का वही रह जाता है.क्यों के गाव के अन्दर न तो किसी लोगो मे शिक्षण है.और नाही किसी को राष्ट्र भावना उनको आपने गाव के विकास मे कोई दिलचस्पी नहीं है.और अगर कोई ये दिखायेगा तो पैसा या ताकत का उपयोग करके चुप किया जाता है ये ,कुछ भारत के पंचायती राज का तस्वीर है. गाव के कुछ चंद बाहुबली लोगो का पूरा कब्ज़ा इन गाव की पंचायत पर हो चूका है.और इन बाहुबली के समाज से ही एम.एल.ऐ.और संसद आते है इस लिए फरियाद करने का भी कोई अवकाश नाही रहता है किसी के पास .हा अगर गाव के ताकतवर दो तिन कबीले है तो कुछ होगा क्यों के सत्ता के लिए ये ये लड़ाई खून खराबा की चरम सीमा पर कर जाती है.यहाँ विकास नाम की कोई चीज दिखाई नहीं दे रही है .अगर सरकार पाठशाला बनाने के लिए पैसा दे रही है तो इन को पाठशाला मे कोई मतलब नहीं मगर पाठशाला का ठेका लेकर पैसा कमाने में मतलब है इस तरह पुरे गाव मे विकाश के नाम पर जितना भी रूपया अता जैसे के खेती ,रास्ता पानी,मकान,सिंचाई के सभी काम का ठेका ये पंचायत को दिया जाता है.और बाद मे भारत की ९० % पचायत मे आज भी कोई अच्चा निर्माण कार्य नहीं कर पाए है शायद डॉ.भीमराव आंबेडकर इस बात से ही नाराज थे और पंचायतराज भारत मे दाखिल नहीं करने के हिमायती थे, मगर भारत की कमनसीबी ये है के ऐसा नेता सिर्फ दलित नेता बनकर भारत मे रह गया.ये कुछ पूंजीवादी लोगो का एक चल था .अगर पंचायत राज दे ही दिया है तो वापस लेना चाहिए या फिर सरकार का उन पर कड़क नियंत्रण होना चाहिए.पर सरकार में बैठे प्रतिनधि भारत मे ये बात दाखिल नाही करेगे क्यों के तो विधासभा और लोकसभा के चुनावो मे इनकी मदद कोन करेगा..भारत मे तो ऐसे भी संसद गुंडे,व्यापारी,उद्योगपति तो है बाकि आम समाज का कोई बौधिक भारत की संसद या किसी राज्य की विधानसभा तक कहा पहुच सकता है.मगर अब भी आप को गाव का हित करना है.नक्सलवाद खून खराबा,आपसे टकराव जातिवादी टकराव दूर करना है तो ये पंचायत राज को ख़तम करना पड़ेगा ......